दिल्ली में पटाखों वाली दिवाली को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी! 5 दिन चलेंगे सिर्फ ग्रीन क्रैकर्स, क्या है नए नियम
दिल्ली-एनसीआर की हवा में दिवाली के दौरान फिर पटाखों की आवाज गूंजने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (10 अक्टूबर) को एक अहम फैसले में पांच दिनों के लिए पटाखे फोड़ने और बेचने की सशर्त अनुमति दे दी है। ये फैसला कई सालों बाद राजधानी में पटाखों वाली दिवाली की वापसी का संकेत है, हालांकि अदालत ने साफ कर दिया है कि ये सिर्फ एक ट्रायल बेसिस पर दी गई छूट होगी।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला - सिर्फ "ग्रीन पटाखों" को मंजूरी
मुख्य न्यायाधीश भूषण आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर सुनवाई करते हुए कहा कि दिवाली के दौरान केवल नेरी (NEERI) द्वारा प्रमाणित "ग्रीन पटाखे" ही चलाए जा सकेंगे। पारंपरिक पटाखों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि बिक्री सिर्फ लाइसेंस प्राप्त दुकानदारों के माध्यम से होगी, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Flipkart और Amazon पर बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी।
कब और कितने समय तक चलेंगे पटाखे
सरकार ने जो समय सीमा तय की है, उसे अदालत ने भी स्वीकार किया है -
दिवाली और प्रमुख त्योहारों पर: रात 8 से 10 बजे तक
नए साल की रात: रात 11:55 से 12:30 बजे तक
गुरुपुरब जैसे धार्मिक आयोजनों पर: सुबह और शाम एक-एक घंटे की अनुमति इसके अलावा शादियों या निजी आयोजनों में भी सीमित समय के लिए पटाखों की अनुमति दी जाएगी।
बच्चों को भी दी राहत, लेकिन जिम्मेदारी के साथ
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिवाली बच्चों के लिए खुशियों का त्योहार है, इसलिए उन्हें सिर्फ दो घंटे तक सीमित करना उचित नहीं होगा। अदालत ने यह दलील मानते हुए कहा कि "बच्चे दिवाली मनाएं, लेकिन सीमाओं के भीतर।"
पर्यावरण विशेषज्ञों ने जताई चिंता
हालांकि विशेषज्ञ इस फैसले से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि 2018 से 2020 के बीच "ग्रीन पटाखे" नीति के बावजूद प्रदूषण में कोई कमी नहीं आई थी। थिंक टैंक Envirocatalysts के संस्थापक सुनील दहिया ने चेतावनी दी कि अगर ग्रीन पटाखों का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ तो दिल्ली की वायु गुणवत्ता एक दशक पीछे चली जाएगी। उन्होंने कहा, "हमें हर स्रोत पर प्रदूषण को रोकना होगा, चाहे वह पटाखे हों, पराली जलाना हो या वाहनों और उद्योगों से निकलने वाला धुआं।"
"ग्रीन" पटाखे कितने हरे हैं?
NEERI के मुताबिक, ये पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30-35% कम उत्सर्जन करते हैं। इनमें बैरियम नाइट्रेट की जगह zeolites, कम एलुमिनियम और डस्ट सप्रेसेंट्स का उपयोग किया जाता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह कमी बहुत मामूली है। इतनी बड़ी आबादी में इनका उपयोग प्रदूषण को कम नहीं कर पाएगा।
आईआईटी दिल्ली के एयर पॉल्यूशन एक्सपर्ट प्रो. मुकेश खरे ने कहा, "अक्सर ग्रीन पटाखों के नाम पर पारंपरिक पटाखे बेचे जाते हैं। अगर केवल ग्रीन पटाखे भी चलाए जाएं, तब भी उनकी संख्या इतनी ज्यादा होगी कि प्रदूषण बढ़ेगा ही।"
निगरानी और अमल सबसे बड़ी चुनौती
अमाइकस क्यूरी (न्यायिक सहायक) के तौर पर पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता उत्तर बब्बर ने अदालत को बताया कि सरकार का "एनफोर्समेंट प्लान" सिर्फ कागजी है। PESO के पास दिल्ली में ऐसे कोई लैब नहीं हैं, जो बाजार में बिक रहे पटाखों की जांच कर सकें।
दिल्ली की हवा पर क्या होगा असर?
पिछले कुछ सालों में दिल्ली-एनसीआर की हवा दिवाली के दौरान गंभीर स्तर तक पहुंच जाती है। इस बार भी मौसम विभाग ने चेताया है कि अगर हवा की दिशा और गति अनुकूल नहीं रही तो पटाखों का धुआं कई दिनों तक हवा में बना रह सकता है।